
Shudra Vidroh: Taki Ban Sake Atmnirbhar Bharat
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कुल 11 अध्यायों वाले इस किताब में प्रो. कांचा आइलैय्या शेपर्ड ब्राह्मण धर्म में शूद्रों की ऐतिहासिक वंचनाओं और उनके ज्ञान-कौशल की उपेक्षा का सवाल उठाते हैं। वे यह भी बताते हैं कि कैसे उनके इतिहास और उनके बोध पर कब्जा किया गया ताकि वे शोषित व वंचित बने रहें। वे इस पूरे विमर्श को वर्तमान के सापेक्ष व्याख्यायित करते हैं कि यदि भारत हिंदू राष्ट्र बना तो शूद्रों के सामने किस तरह के खतरे होंगे। इसके साथ ही वे यह भी बताते हैं कि छिटपुट तौर पर ही सही, शूद्रों के विद्रोह ने मानववादी सभ्यता और समता, समानता व बंधुता जैसे मूल्यों पर आधारित देश व समाज की अवधारणा को मजबूत किया है। लेकिन अपने अनुभव, ज्ञान, कौशल व अध्यात्म के जरिए सभ्यतागत विकास में हस्तक्षेप रूपी उनके विद्रोहों का व्यापक स्तर पर उभरना अभी बाकी है।