
Hindu Dharm ki Paheliyan
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यह पुस्तक उन आस्थाओं को उजागर करती है जिनका प्रतिपादन ब्राह्मणवादी धर्मशास्त्र करते हैं। इस पुस्तक का उद्देश्य सामान्य हिंदुओं को यह अहसास दिलाना है कि ब्राह्मणों ने उन्हें किस तरह के दलदल में फँसा दिया है ताकि वे तार्किक चिंतन की ओर प्रवृत्त हो सकें। (इसी पुस्तक में डॉ. आंबेडकर द्वारा लिखित प्रस्तावना से उद्धृत)