
Ambedkar ki Nazar mein Gandhi aur Gandhivad
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यह पुस्तक मेरे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि गांधी और आंबेडकर के बीच हुए वाद-विवाद का कोई प्रामाणिक दस्तावेज मेरे पास उपलब्ध नहीं था। इसमें कई एक ऐसे जरूरी लेख हैं जो गांधी पर आंबेडकर के बेबाक विचारों को समझने के लिए जरूरी हैं। (दिवंगत चौथीराम यादव, प्रसिद्ध हिंदी समालोचक की समीक्षा से उद्धृत)