Vidyalaya Ki Safalta Ke Sutra
Non-Fiction/self-Help/Teaching/School
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मैं विगत 25 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवा दे रहा हूँ। अनेक विद्यालयों को नजदीक से देखने का मौका मिला है। कुछ को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश की स्थिति खराब (बद से बदतर) मिली। सरकारी विद्यालयों की बात की जाए तो इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक नहीं है। अधिकतर शिक्षक नहीं पढ़ाने को अच्छा मानते हैं। पठन-पाठन को छोड़कर कार्यालय अथवा पदाधिकारी का चक्कर लगाने वाले शिक्षक अन्य शिक्षकों के नेतृत्वकर्ता होते हैं। वे छुट्टियों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। छुट्टी और छूट के लिए वे प्रधान शिक्षक से भी लड़ जाते हैं। अधिकतर शिक्षकों के बीच मनमुटाव रहता है। उन्हें पद की गरिमा के बारे में सोचने की फुर्सत नहीं है। प्रधान शिक्षक समुदाय से कटे रहते हैं। उनके पास विजन का अभाव है।