

श्री सन्न्यासगीता
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ISBN: 978-93-5701-447-2, Pages: 106, Size: A5, 2022, Paperback. श्री सन्न्यासगीता वर्णाश्रम धर्म पालन हेतु उपासकों के लिए अमूल्य रत्न है। यह ज्ञान का वर्धन करते हुएॅ अभ्युदय और निःश्रेयस प्रदान करती है। यह दूसरे समुदाय के लिए भी हितकारी है और ज्ञान, उपासना और कर्म में सर्वोच्च स्तंभ हैं जिससे मोक्ष प्राप्ति संभव है। यह मनोनाश करते हुए ज्ञान, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करती है और निवृत्ति धर्म को भी सुचारु रुप से अग्रसर करने में सहायक है। सन्न्यास श्री सन्न्यासगीता के बगैर संभव नहीं हो सकती है और यह पुस्तक बहुत काल से लुप्त थी और सनातन धर्म में इस पुस्तक का सबसे बड़ा योगदान है। इस पुस्तक के बगैर सनातन धर्म को समझ पाना अत्यंत कठिन हैं। यह पुस्तक एक नौका के समान है जो कि इस भवसागर को पार कराने में सक्षम है। आज कई लोगों ने धर्म की आड़ पर धर्मचिन्ह, वेशभूषा आदि रखकर स्वयं को सनातन धर्म का रक्षक तथा धर्मगुरु बताकर लोगों से पुजवा रहे हैं तथा धर्म की आड़ पर अधर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
