

श्री गुरुगीता
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ISBN : 978-93-5913-429-1, Pages: 54, Size: A5, 2023, Paperback. श्री गुरुगीता गुरु-शिष्य धर्म परम्परा पालन हेतु उपासकों के लिए अमूल्य रत्न है। यह ज्ञान का वर्धन करते हुए अभ्युदय और निःश्रेयस प्रदान करती है। यह दूसरे समुदाय के लिए भी हितकारी है और ज्ञान, उपासना और कर्म में सर्वोच्च स्तंभ हैं जिससे मोक्ष प्राप्ति संभव है। यह मनोनाश करते हुए ज्ञान, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करती है और प्रवत्ति-निवृत्ति धर्म को भी सुचारु रुप से अग्रसर करने में सहायक है। परम ज्ञान श्री गुरुगीता के बगैर संभव नहीं हो सकती है और यह पुस्तक बहुत काल से लुप्त थी और सनातन धर्म में इस पुस्तक का सबसे बड़ा योगदान है। इस पुस्तक के बगैर सनातन धर्म को समझ पाना अत्यंत कठिन हैं। यह पुस्तक एक नौका के समान है जो कि इस भवसागर को पार कराने में सक्षम है। भगवान् श्री शंकर और माता पार्वती जी के संवाद के रुप मंे श्री गुरुगीता अति प्रसिद्ध हैं। इस पुस्तक के मूलस्वरुप न रहने के कारण आज कई लोगों ने धर्म की आड़ पर धर्मचिन्ह, वेशभूषा आदि रखकर स्वयं को सनातन धर्म का रक्षक तथा धर्मगुरु बताकर लोगों से पुजवा रहे हैं तथा धर्म की आड़ पर अधर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। आज इस कलियुग में यह पुस्तक एक मशाल के रूप में अज्ञानता के अंधकार को नष्ट करते हुऐ ज्ञानरूपी रोशनी प्रदान करने की क्षमता रखती हैं।
