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Premchand ki Bahujan Kahaniyan

“प्रेमचंद की बहुजन कहानियां” एक महत्त्वपूर्ण संकलन है, जो प्रेमचंद की कहानियों को सर्वथा नए सिरे से पढ़ने और विवेचित-विश्लेषित करने का आग्रह करती है। इसमें प्रेमचंद की 19 विशिष्ट कहानियों को संकलित किया गया है। वर्तमान समय के यशस्वी कथाकार सुभाष चन्द्र कुशवाहा ने कहानियों का संकलन व संपादन किया है। संकलित कहानियों के केंद्र में बहुजन समाज है, जो आज भी अन्याय, शोषण और जाति के दुष्चक्र में फंसा हुआ है। इनमें उसकी छटपटाहट और पीड़ा का दस्तावेजीकरण किया गया है। ये कहानियां सामंतवाद के कुरूप चेहरे को उसकी समूची क्रूरताओं के साथ समग्र रूप में परत-दर-परत उद्घाटित करती हैं। (अम्बरीन आफताब की समीक्षा से)

220.00
Premchand ki Bahujan Kahaniyan

Kabir aur Kabirpanth

‘कबीर और कबीरपंथ’ एक शोध ग्रंथ है, जिसके रचयिता फ्रैंक अर्नेस्ट केइ ब्रिटिश शोधार्थी और पादरी थे। वर्ष 1931 में उनकी यह किताब ‘कबीर एंड हिज फॉलोअर्स’ शीर्षक से प्रकाशित हुई। हिंदी में इसका प्रथम अनुवाद बहुजन लेखक चिंतक कंवल भारती के द्वारा किया गया है। इस पुस्तक को पढ़ते समय जो सबसे पहली अनुभूति होती है, वह इसकी भाषा है। वैसे तो यह मूल रूप से केइ की भाषा है, जिन्होंने विषयों को समग्रता में रखते हुए कबीर के संबंध में उठनेवाले तमाम सवालों को अत्यंत ही सहज तरीके से प्रस्तुत किया है। लेकिन हिंदी में इसका अनुवाद करते समय कंवल भारती ने इसके प्रवाह को बनाए रखा है। इससे अनूदित स्वरूप में भी इस किताब की रोचकता बनी रहती है। (डॉ. संयुक्ता भारती की समीक्षा से)

250.00
Kabir aur Kabirpanth
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